इण्टरनेट
यह विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क है, जिससे दुनिया भर के अनेक नेटवर्क जुड़े हुए हैं, तथा इसके माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाता है।
इण्टरनेट से सम्बन्धित तथ्य
वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) यह विशेष रूप से हाइपरटेक्स्ट डॉक्यूमेण्ट्स का समर्थन करने वाले इण्टरनेट सर्वर की एक प्रणाली है। इसे 13 मार्च, 1989 को पेश किया गया था।
वेब पेज वेब बहुत सारे कम्प्यूटर डॉक्यूमेण्ट्स या वेब पेजों का संग्रह है। ये डॉक्यूमेण्ट्स HTML में लिखे जाते हैं तथा वेब ब्राउजर द्वारा प्रदर्शित किए जाते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं-स्टैटिक (Static) तथा डायनेमिक (Dynamic) ।
वेबसाइट एक वेबसाइट वेब पेजों का संग्रह होता है, जिसमें सभी वेब पेज हाइपरलिंक द्वारा एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। किसी भी वेबसाइट का पहला पेज होम पेज कहलाता है। उदाहरण- http://iete.org इत्यादि ।
वेब ब्राउजर यह एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है, जिसका प्रयोग वर्ल्ड वाइड वेब के कन्टेन्ट को ढूँढने, निकालने व प्रदर्शित करने में होता है। उदाहरण-नेटस्केप, इण्टरनेट एक्स्प्लोरर, गूगल क्रोम, आदि। *
वेब एड्रेस या यू आर एल इन्टरनेट पर वेब एड्रेस किसी विशिष्ट वेब पेज की लोकेशन को पहचानता है। वेब एड्रेस को URL (Uniform Resource Locator) भी कहते हैं। यह इण्टरनेट से जुड़े होस्ट कम्प्यूटर पर फाइलों के इण्टरनेट एड्रेस को दर्शाते है। उदाहरण-http:/www.google.com/services /index.htm
डोमेन नेम डोमेन नेटवर्क संसाधनों का एक समूह है, जिससे उपयोगकर्ता के समूह को आवण्टित किया जाता है। डोमेन नेम इण्टरनेट पर जुड़े हुए कम्प्यूटरों को पहचानने व लोकेट करने के काम में आता है।
वेब सर्च इंजन सर्च इंजन इण्टरनेट पर किसी भी विषय के बारे में सम्बन्धित जानकारियों के लिए प्रयोग होता है। उदाहरण-गूगल, लाइकॉस, अल्टाविस्टा, हॉट बॉट, बिंग आदि।
* प्रोटोकॉल यह नियमों का वह सेट है, जो डेटा कम्यूनिकेशन्स की देखरेख करता है।
उदाहरण-TCP/IP, FTP, HTTP आदि ।
इण्टरनेट सेवाएँ
इण्टरनेट से उपयोगकर्ता कई प्रकार की सेवाओं का लाभ उठा सकता है।
इनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण सेवाएँ इस प्रकार हैं
चैटिंग यह वृहत् स्तर पर भी उपयोग होने वाली टेक्स्ट आधारित संचारण है, जिससे इण्टरनेट पर आपस में बातचीत कर सकते हैं।
ई-मेल इसके माध्यम से कोई भी उपयोगकर्ता किसी भी अन्य व्यक्ति को इलेक्ट्रॉनिक रूप में सन्देश भेज सकता है तथा प्राप्त भी कर सकता है।
वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग इसके माध्यम से कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह किसी अन्य व्यक्ति या समूह के साथ दूर होते हुए भी आमने-सामने वार्तालाप कर सकते
सोशल नेटवर्किंग ये ऐसी वेबसाइट्स होती हैं, जहाँ दो-या-दो से अधिक व्यक्ति एक-दूसरे के साथ विभिन्न तरह की सूचनाएँ एवं विचारों का आदान-प्रदान करते
उदाहरण-फेसबुक, लिंक्ड इन, मायस्पेस आदि।
वायरलेस संचार
वायरलेस संचार एक एनहेन्स्ड (Enhanced) इलेक्ट्रिकल कण्डक्टर अथवा वायर्स को उपयोग किए बिना विभिन्न दूरियों के मध्य सूचनाओं को प्रेषित करने वाली प्रणाली है।
वायरलेस संचार की पीढ़ियाँ
• 1G प्रथम पीढ़ी : एनालॉग सैलुलर नेटवर्क मानक 1G वायरलैस टेलीफोन तकनीक की पहली पीढ़ी है। ये वे दूरसंचार मानक हैं, जिन्हें पहली बार वर्ष 1980 में विकसित किया गया और 1G नेटवर्क में प्रयुक्त रेडियो संकेत प्रायः एनालॉग होते हैं। 1G प्रणाली की गति 28 K मॉडेम (28kbps) तथा 56 K मॉडेम (56 kbps) के बीच विचलित होती है।
• 2G द्वितीय पीढ़ी : डिजिटल नेटवर्क 1G नेटवर्क के रेडियो सिग्नल एनालॉग होते हैं, जबकि 2G नेवटर्क के रेडियो सिग्नल डिजिटल होते हैं। ये दोनों ही प्रणालियाँ रेडियो टावरों को बाकी टेलीफोन प्रणाली से जोड़ने के लिए डिजिटल संकेतकों का उपयोग करती हैं। इसकी प्रमुख विशेषताएँ यह हैं कि इसमें फोन पर की जाने वाली बातचीत डिजिटली एनक्रिप्टेड होती है।
3G तृतीय पीढ़ी : हाई स्पीड आई पी डेटा नेटवर्क 3G ने प्रौद्योगिकी के रूप में अगली पीढ़ी का प्रारम्भ किया। दोनों तकनीकों 3G व 2G में मुख्य अन्तर यह था कि डेटा स्थानान्तरण के लिए सर्किट स्विचिंग के स्थान पर पैकेट स्विचिंग का प्रयोग किया जाने लगा।
: 4G चतुर्थ पीढ़ी मोबाइल ब्रॉडबैंड में वृद्धि यह 3G मोबाइल कम्यूनिकेशन मानकों की अगली कड़ी है। इण्टरनेशनल मोबाइल टेलीकम्यूनिकेशन एडवांस्ड (IMT-Advanced) पेसिफिकेशन के अनुसार, 4G सेवाओं के लिए, उच्च गतिशील संचार के लिए 100 मेगाबाइट प्रति सेकण्ड तथा कम गतिशील संचार के लिए 1 गीगाबाइट प्रति सेकण्ड की गति आवश्यक है।
• 5G पांचवी पीढ़ी : वायरलेस सिस्टम्स कुछ शोध पत्रों एवं परियोजनाओं में वायरलैस सिस्टम के नाम का इस्तेमाल मोबाइल दूरसंचार मानकों के अगले मुख्य चरण को इंगित करने के लिए किया गया, जो 4G/IMT एडवांस स्टैण्डर्ड्स के बाद का चरण है। वर्तमान में, 5G का इस्तेमाल किसी विशेष विशेषीकरण अथवा किसी कार्यालय दस्तावेज अथवा मानकीकरण निर्धारित करने वाले संस्थानों; जैसे 3GPP, WiMAX Forum अथवा ITU द्वारा विधिक रूप से नहीं किया गया है।
कम्प्यूटर सिक्योरिटी के लिए खतरा :
मालवेयर
मालवेयर का अर्थ है द्वेषपूर्ण (दुष्ट) सॉफ्टवेयर (Malicious Software)। ये उस प्रकार के प्रोग्रामों का सम्मिलित रूप हैं, जिनका प्रमुख कार्य होता है, कम्प्यूटर को हानि पहुँचाना। इनमें से कुछ प्रमुख तत्त्वों का विवरण इस प्रकार है
• वायरस ये वो प्रोग्राम है जो कम्प्यूटर पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। वायरस कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के किसी भी हिस्से; जैसे कि बूट ब्लॉक, ऑपरेटिंग सिस्टम, सिस्टम एरिया, फाइल्स, अन्य एप्लीकेशन प्रोग्राम, इत्यादि को क्षति पहुँचा सकते हैं।
वॉर्म्स यह एक अकेला ऐसा मालवेयर प्रोग्राम है, जोकि दूसरे कम्प्यूटरों में अपने आप को फैलाने के लिए कॉपी करता है। वॉर्म्स को ढूंढ़ पाना अत्यन्त कठिन है, क्योंकि ये अदृश्य फाइलों के रूप में होते हैं।
रैनसमवेयर यह एक मैलिसियस सॉफ्टवेयर या वायरल है, जो कम्प्यूटर को ब्लॉक करने के लिए डिजाइन किया जाता है। यह कम्प्यूटर में प्रवेश करते ही पूरे सिस्टम को लॉक कर देता है और अनलॉक करने के लिए भुगतान का अनुरोध (Please Read Me) करने वाला मैसेज छोड़ता
• ट्रॉजन ट्रॉजन या ट्रॉजन हॉर्स एक प्रकार का नॉन-शेल्फ रेपलिकेटिंग मालवेयर है। जोकि किसी भी इच्छित कार्य को करते हुए प्रतीत होता है पर ये उपयोगकर्ता के कम्प्यूटर 'सिस्टम पर अनाधिकृत उपयोग की सुविधा प्रदान करता है। स्पाईवेयर यह प्रोग्राम किसी भी कम्प्यूटर सिस्टम पर संस्थापित होता है जो यूजर की सभी गतिविधियों की निगरानी तथा गलत तरीके से आगे प्रयोग होने वाली सभी *जानकारियों को एकत्रित करता है।
हैकिंग नेटवर्क से जुड़े कम्प्यूटर में घुसपैठ करने की प्रक्रिया को हैकिंग कहते हैं। हैकिंग DoS (Denial of Service) अटैक का परिणाम भी हो सकता है। यह कम्प्यूटर के सभी संसाधनों को वैध यूजरों द्वारा इस्तेमाल प्र करने से दूर रखती है।
क्रैकिंग यह कम्प्यूटर में किसी भी प्रकार के सॉफ्टवेयर या उनके घटकों को तोड़ने की प्रक्रिया है। इसमें पासवर्ड क्रैकर, ट्रोजन्स, वायरसेज, वार डायलर, इत्यादि सम्मिलित हैं।
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