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Important General Knowledge(GK) Main Tribes of Himachal Pradesh : हिमाचल प्रदेश की मुख्य जनजातियाँ

Most Important General Knowledge Main Tribes of Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश की मुख्य जनजातियाँ

हिमाचल प्रदेश में मुख्य रूप से 5 जनजातियाँ हैं। यह हैं-किन्नर, लाहौली, गद्दी, गुज्जर और पंगवाल। 

1. किन्नर-किन्नर जनजाति किन्नौर जिले में पाई जाती है। 'किन्नर' मुख्यतः कृषक हैं। जन्म से मृत्यु तक के संस्कारों को पूरा करने के लिए ये लामा की सहायता लेते हैं। इनमें बहुपति प्रथा विद्यमान है।
विवाह-जनेरटंग (व्यवस्थित विवाह), द्रोश (जबरन विवाह), हार (दूसरे की पत्नी को भगा ले जाना), दमचल शिश (प्रेम विवाह)।
2. लाहौली- यह मुख्यतः लाहौल-स्पीति में पाई जाती है। लाहौली मुख्यतः कृषक हैं। लाहौल में भी बहुपति प्रथा विद्यमान है। यहाँ भी व्यवस्थित और जबरंन विवाह का प्रचलन है। ये लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं। ये लोग पारम्परिक ऊनी वस्त्र पहनते हैं। 
3. पंगवाल-पंगवाल जनजाति चम्बा के पांगी इलाके में पाई जाती है। इनका मुख्य पेशा कृषि और भेड़-बकरियाँ पालना है। विवाह-जंगीशादी, टोपी लानी शादी (विधवा पुनर्विवाह)। जड़ पांगी के बौद्ध है।

ये लोग हिन्दू धर्म को मानते हैं। यहाँ स्थानीय मदिरा का विशेष आयोजनों पर सेवन किया जाता है।
4. गद्दी-गद्दी जनजाति प्रदेश की सबसे प्रमुख जनजाति है। ये जनजाति मुख्यतः चम्बा जिले के भरमौर और काँगड़ा के बर्फीले क्षेत्रों में पाई जाती है। ये लोग हिन्दू धर्म को मानते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं।

5. गूर्जर-गूर्जर एक घुमन्तू जनजाति है। हिमाचल प्रदेश में गुर्जरों की जनसंख्या तीस हजार के लगभग है। प्रदेश में हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म को मानने वाले गूर्जर हैं। मुस्लिम गूर्जर घुमक्कड़ स्वभाव के हैं। ये लोग मुख्यतः कश्मीरी वेशभूषा पहनते हैं।
(ब) जनजातियों एवं अन्य जातियों से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य

1. किन जनजातियों की भाषा का व्याकरण मन्दारी (चीनी) भाषा और छोटा नागपुर के आदिवासी मुण्डा लोगों से मिलता-जुलता है? किन्नर

2. खस-वस्त्र-गाची, धाटू छोबा, धोरू, थिफु (टोपी)। व्यंजन-पोलटू, सिड्डू । विवाह-प्रैनो, गदर । मुख्य गोत्र-कश्यप। युद्ध-नृत्य-ठोड़ा (तीर-कमान)। सम्पति का बँटवारा-जेठोंग (बड़े भाई को), कनिंशोग (छोटे भाई को) । मावी (मवाणा) -गाँव का शक्तिशाली आदमी, इण्डो-आर्यन जाति जो हिमालय में सर्वप्रथम पाई गई।

3. स्वांगला-निवास स्थान-पट्टन घाटी और चंद्राभागा घाटी यह लाहौल स्पीति की जनजाति है।

भाषा-मनच्छेद, चिनाली (सिप्पी द्वारा बोली जाने वाली), भोटी (बौद्धों द्वारा), तिनान (सिस्सु क्षेत्र में)। भोजन-चिलरा (जौ की रोटी), छांग (स्थानीय शराब) । विवाह-प्रथा-रूसा ते ब्याज (प्रेम-विवाह), कुआ ब्याह (हरण-विवाह), मजमी ब्याह (समझौते के अनुसार विवाह जब लड़का विवाह का खर्च उठाने को तैयार हो जाए), छेति (दहेज प्रथा)। बच्चों से जुड़ी प्रथा-छठी या अन्ना प्रसन्ना (6 माह के बच्चों को सर्वप्रथम भोजन करवाने की प्रथा), क्रमोग (1 वर्ष के बच्चे), नन्छेद (लड़कियों में किशोरावस्था), तलाक-तसुदथ्वागची ! सम्पत्ति का बराबर बँटवारा मरने के बाद पुत्रों को-पगवान्ड, किस बौद्ध पंथ में जानवरों की बलि नहीं दी जा सकती-गेलुगपा पंथ, मंदिर-त्रिलोकनाथ, मृकुला मंदिर (उदयपुर)। मेला-त्रिलोकीनाथ मेला (अगस्त-सितम्बर ) ।

4. गद्दी-निवास स्थान-भरमौर (चम्बा), नामकरण-भेड़ चराने वाली जनजाति । कहाँ से आए और बसे-लाहौर (गद्दी राजपूत), दिल्ली (गद्दी ब्राह्मण), प्रसिद्ध गीत-राजा-गद्दण (राजा संसारचंद और नोखू गद्दी सुन्दरी की कहानी), धर्म-हिन्दू, देवता-शिव (मुख्य देवता), केलांग (दराती देवता), गुग्गा (पशु रक्षक देवता)। मुण्डन (बच्चे का) को जट्टू कहा जाता है।

विवाह (5 प्रकार के)

1. झिण्ड फुक या बरार फुक-लड़की द्वारा भागकर शादी करना, झाड़ी या लकड़ी को जलाकर उसके चारों ओर चक्कर लगाना ।
2. झांझरारा-आपसी समझौते या भागकर विवाह करना।
3.घर जवान्तरी-घरजँवाई। .
4. बट्टा-सट्टा-अपनी बहन देकर लड़की से विवाह कर। 5. दान पुन विवाह त्योहार और मेले-मिंजर, सायर, मणिमहेश यात्रा, देशी शराब-झोल । भोजन-नूहारी या डूटेलू (नाश्ता), कलार (दोपहर का भोजन), बैली (रात का भोजन) ।

5. खम्पा-कहाँ से आए और बसे-खाम (तिब्बत) से, किस नाम से जाने जाते हैं अलग-अलग क्षेत्रों में-उत्तरांचल में (शाह खम्मा), स्पीति में (पिती खम्पा)। किन्नौर में (कुनु खम्पा), कुल्लू में (निओन्दी खम्पा), चम्बा में (थावा खम्पा), लाहौल में (धारजा खम्पा)

नखोर खम्पा-धार्मिक जगहों की यात्रा करने वाले कहलाते हैं। विवाह-फन्कतुन (विवाह का अवसर), तिम्डेलुह (प्रश्न-उत्तर गीत लड़की बालों द्वारा वर का रास्ता रोक कर पूछने के लिए), थोड़कर (पगड़ी), देसिल (विवाह के दौरान लड़की, लड़के द्वारा खाया जाने वाला दही चावल से बना मीठा व्यंजन) गृह देवता-छड़ना दोरजे । वस्त्र-छूबा (Gown), बनजग (कमीज), किंगर (टोपी)। भोजन-युग्पा और मोमो, गुच्छी (मशरूम), भालकू, लिंगर, नोखी, छियु (खाने योग्य जड़े) । प्रथा- रलदक (2 वर्ष से कम आयु (मुंडन) के बच्चे के बाल कटवाने की प्रथा, छिजिक (मृत्यु के चौथे दिन), दूजिक (मृत्यु के 7वें दिन), शिपछू शेरकू (49वें दिन), लोगार (मृत्यु के एक वर्ष बाद) किए जाने वाले कर्मकाण्ड। मेले-लोसार (नव वर्ष त्योहार, फरवरी के अन्तिम सप्ताह में), गल्दे गम्छे (मई) गेतर और लदारचा मेला (स्पीति और किन्नौर में) जिसमें खुनु और पिती खम्पा भाग लेते हैं।

दस्त्र-सुक्तु (शॉल), सुकदान (ऊनी चद्दर), शुजाम चुंगी (परिषद् 5 बुजुर्ग लोगों की) ।

6. पंगवाल-निवासी-पांगी (चम्बा), भाषा-पंगवाली। भोजन-त्योहारों के व्यंजन-उनेस, मौदाज, लुची, बाकरू, बियर, कुरोन, कराक-जौ की शराब। फल-चीर, चुर, मिरी, थान, खोर, थांगी, गहने-बुलोक (nosering), फरारू (कान की बाली) विवाह प्रकार-बड़ी शादी (समझौते से), पिठचुक या चोरी (अपहरण से), डोगरी (अदला-बदली), टोपी लाना (विधवा पुनर्विवाह), पंगवाल ब्राह्मण के प्रकार-गौर ब्राह्मण (भिक्षा पर निर्भर), सुंगरिया ब्राह्मण (जन्म-विवाह करवाने वाले), कालिया ब्राह्मण (मृत्यु कर्मकाण्ड करने वाले)। विवाह की प्रक्रिया- फिलान (सगाई), चक्की (विवाह), प्रथा-शिक वंदे (मुण्डन) किल्ला (मुण्डन वाले बालों को मिट्टी (जमीन) में दबाने की प्रथा), जातरा (धार्मिक यात्रा)-लवान (मार्च), उनोनी और सैन्य (April), दरखान और बारिया (सावन में), फूलजातरा (कार्तिक में) मेले-थेने (अगस्त), दिखरैन (सावन), परवाच, हिस्सु (नववर्ष का दिन)।

7. किन्नर-नाम-तिब्बतियों द्वारा खुनु, लद्दाख में मोओं विवाह-प्रेम विवाह, दमचालसिस, डमाटनंग शिश, जबरन विवाह-दरोश, न्यामशा दपांग, आशिश, Arrange Marriage जनेटांग। तलाक-थागचोचा। मृत्यु रिवाज-डुबंत, फुकंत, भकंत (Cremation Practice) वस्त्र-थेपांग (टोपी), रागोया (कमीज)।

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